सदर अस्पताल में लगे हैं आग बुझाने वाले उपकरणबेगूसराय, निज प्रतिनिधि। जिले में संचालित अधिकतर निजी नर्सिंग होम से लेकर निजी क्लीनिकों में आग से सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं हो रहा है। आग से सुरक्षा का मानकों पालन नहीं होने से क्लीनिक पहुंच रहे मरीजों की जिंदगी हमेशा खतरे में बनी रहती है। जबकि जिलेभर में 500 से अधिक निजी नर्सिंग होम से लेकर निजी क्लीनिक संचालित हो रहे हैं।
जिला फायर ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार विभाग की ओर वर्ष 2022 में जिलेभर में मात्र 81 सरकारी व निजी नर्सिंग होम से लेकर क्लीनिकों में आग से सुरक्षा की वार्षिक ऑडिट की गयी है। जिला फायर अधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि हर साल सरकारी व निजी अस्तपालों की आग से सुरक्षा की जांच की जाती है। बिहार अग्नि सेवा सेवा अधिनियम के तहत सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के मानक निर्धारित किया गया है।
इनमें से 65 बिंदुओं पर जांच की जानी है। भौतिक रूप से जांच में कम से 50 बिंदु पाये जाने पर ही एनओसी देने का प्रावधान है। इनमें से अस्पतालों में हर हाल में आतातकालीन द्वार व अस्तपालों के चारों तरफ दमकल की गाड़ी घूमने के लिए रास्ता होना चाहिए।अस्पताल परिसर में निकास द्वार का नक्शा छपा होना, अग्नि नियंत्रण कक्ष, अग्नि अधिकारी होना चाहिए।
अस्पताल में पानी से आग बुझाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। बिजली से आग लगने पर आग बुझाने के लिए अधिक मात्रा में सिलेंडर हो। इसमें एबीसी और कार्बन डायऑक्साइड सिलेंडर की जरूरत होती है। निकास द्वार बिल्कुल ही सरल व सुलभ होना चाहिए। इन मानकों को पूरा करने में जिले के कुछ निजी अस्पतालों में एलेक्सिया अस्तपाल भी शामिल है।सदर अस्पताल में लगे हैं आग बुझाने वाले उपकरण सीएस डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि सदर अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पताल आग से सुरक्षा के मानकों को पूरा करता है। हर साल अग्निशमन विभाग से जांच भी होती है। सदर अस्पताल में आग बुझाने वाला 18 उपकरण लगाये गये हैं। चार इमरजेंसी द्वार हैं। आग से सुरक्षा के लिए किसी भी हालात से निपटने से सरकारी अस्पताल तैयार है। उन्होंने बताया कि सरकारी सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पतालों में मंझौल, बलिया और तेघड़ा, रेफरल अस्पताल मटिहानी, पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बरौनी, बछबाड़ा, खोदावंदपुर, चेरियाबरियारपुर और साहेबपुरकमाल के अलावा 10 पीएचसी शामिल हैं।