बेगूसराय, हिन्दुस्तान टीम । मनरेगा के जॉब कार्डधारी मजदूरों का दूसरे प्रांतों में रोजगार की तलाश में पलायन जारी है। कम मजदूरी मिलने के कारण जॉब कार्डधारी अधिकतर दिहाड़ी मजदूर अपने घर छोड़ परदेस कमाने चले गए हैं।
मनरेगा योजना में 210 रुपए मजदूरी दी जाती है। इस योजना में काम करने वाले परिवारों को मजदूरी के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं। वहीं अगर मजदूर शहर व गांव में जाकर निजी मजदूरी करता है तो उसे प्रतिदिन 400 से 500 रुपए नगद मजदूरी मिल जाती है। यही वजह है कि मजदूरों का मोह मनरेगा से भंग हो रहा है और मजदूर इस योजना से दूरी बनाकर निजी मजदूरी करना पसंद कर रहे हैं। गांवों में मजदूरों द्बारा मनरेगा के अंतर्गत काम न करने से मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने की मंशा सफल नहीं हो पा रही है।
विभागीय स्तर से मिली जानकारी के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में 36 लाख 90 हजार 519 मानव सृजन दिवस का अबतक सृजन किया गया है। सिर्फ फरवरी माह में करीब 75 हजार मानव दिवस का सृजन किया गया। जिले में जॉबकार्ड धारकों की संख्या पांच लाख 71 हजार 540 है। हालांकि एक्टिव जॉबकार्ड धारियों की संख्या एक लाख 97 हजार 540 है।बताया गया है कि वर्तमान में मनरेगा के तहत कचरा प्रबंधन यूनिट, पौधरोपण, निजी खेत पोखर, सार्जजनिक पोखर आदि का काम चल रहा है। वहीं पायलॅट प्रोजेक्ट के तहत देश में गोबर गैस प्लांट के लिए दो जिले का चयन किया गया है। इसमें बेगूसराय जिला भी शामिल है। इसके तहत हर पंचायत में दो से तीन गोबर गैस प्लांट का निर्माण होना है।इससे निकलने वाली गैस का उपयोग रसोई व लाइट में किया जा सकता है।
बरौनी जंक्शन पर परदेस जाने के लिए ट्रेन पकड़ते मजदूर।होली का रंग फीका पलायन हुआ शुरू बरौनी। गांव में काम नहीं मिलने से होली पर्व नजदीक होने के बावजूद दूसरे राज्यों के महानगरो में रोजी रोटी की तलाश में मजदूर परिवार पलायन कर रहे है। इन मजदूरों में नाबालिग बच्चें भी शामिल हैं। इन मजदूरों को एकत्र करने का जिम्मा बिचौलिये ले रहे है। और इसके एवज में उन्हे कमिशन मिल रहा है। मंगलवार को बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म 5 से होकर गुजरने वाली 12553 वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस में स्लीपर कोच में पाँव रखने की जगह नहीं दिखी। बरौनी, बेगूसराय व आसपास के जिलों के सैकड़ों मजदूर व कामगारों को काम नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों को बाजार के अनुरूप मजदूरी नहीं मिल रही है। गढ़पुरा के रामवृक्ष ने कहा कि मेहनत के बाद भी परिवार का पेट नहीं भरे, तो ऐसा काम करने से क्या फायदा। यही कारण है कि गांव में कृषि और अन्य कार्यो से मजदूरों की दूरी बढ़ती जा रही है। श्रम के अनुरूप लाभ की चाहत में मजदूर परदेश का रुख कर रहे हैं। अन्य भी सुविधा के अनुसार जाना शुरू कर दिया है।