दो माह में दो फुट तक नीचे गया भूगर्भीय जलस्तर

 अबतक पूरे जिले में 686 चापाकलों की मरम्मत की जा चुकी है, गढ़पुरा प्रखंड क्षेत्र में की गई 42 चापाकल की मरम्मत

बेगूसराय। गर्मी बढ़ने के साथ ही भूगर्भीय जलस्तर नीचे जा रहा है। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो माह के दौरान जिले में औसतन दो फीट तक भूगर्भीय जलस्तर नीचे चला गया है। जिले के बछवाड़ा, मटिहानी, शाम्हो, बरौनी, साहेबपुरकमाल, बलिया के दियारे इलाके में स्थिति ज्यादा खराब है। हालांकि जलसंकट जैसी कोई स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। यों पीएचईडी विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जलसंकट से निपटने के लिए विभाग पूरी तरह से कमर कसकर तैयार है।


पीएचईडी के बेगूसराय प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार ने बताया कि बछवाड़ा की रुदौली पंचायत में जिले में सर्वाधिक नीचे भूगर्भीय जलस्तर है। वहां 22.8 फीट नीचे जलस्तर चला गया है। वहीं छौड़ाही की नारायण पीपड़ में भूगर्भीय जलस्तर सबसे ऊपर है। वहां 13.6 फीट नीचे जलस्तर है। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि जिले में 552 चापाकलों को मरम्मत के लिए चिह्नित किया गया था। सभी प्रखंडों में मरम्मत दल को रवाना किया गया है। अबतक पूरे जिले में 686 चापाकलों की मरम्मत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि चापाकल खराब होने की सूचना लोग विभाग को दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि हर घर नल का जल योजना के कारण भी जलापूर्ति की सुविधा लोगों को बढ़ी है।


बताया कि जरूरत पड़ने पर लोगों को टैंकर से जलापूर्ति की जाएगी।



अबतक पूरे जिले में 686 चापाकलों की मरम्मत की जा चुकी है, गढ़पुरा प्रखंड क्षेत्र में की गई 42 चापाकल की मरम्मत

दो माह में दो फुट तक नीचे गया भूगर्भीय जलस्तरदो 

 माह में दो फुट तक नीचे गया भूगर्भीय जलस्तर

बछवाड़ा प्रखंड के रानी- एक पंचायत में नाकारा पड़ा चापाकल।

खोदावंदपुर में भूगर्भ जलस्तर हुआ डेढ़ से दो फीट नीचे

खोदावंदपुरअप्रैल माह शुरू होते ही गर्मी परवान चढ़ने लगी है। दिन प्रतिदिन बढ़ रही गर्मी से खोदावंदपुर में भूगर्भ जल स्तर डेढ़ से दो फीट तक नीचे चला गया है। इससे चापाकलों से कम मात्रा में पानी निकल रहा है। पीएचईडी विभाग जल संकट की आसन्न समस्याओं को लेकर गम्भीर है। पेयजल संकट दूर करने के लिए विभाग के अधिकारी व कर्मी क्षेत्र भ्रमण कर चापाकलों की अद्यतन स्थिति का जायजा ले रहे हैं। विभाग के कर्मियों का कहना है कि जल संकट से निजात पाने के सारे प्रयास किए जा रहे हैं।लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कर्मी मनोज कुमार ने बताया कि खोदावंदपुर में फिलहाल जल संकट की स्थिति नहीं है। गर्मी में बढ़ोतरी होने से प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों का भूगर्भ जल स्तर वर्तमान समय में डेढ़ से दो फीट तक नीचे चला गया है। उन्होंने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में औसतन जल स्तर 16 से 17 फीट है। मिली जानकारी के अनुसार सागी पंचायत का जल स्तर 20 फीट 2 इंच, दौलतपुर पंचायत का जल स्तर 19फीट 3 इंच, बाड़ा पंचायत का जल स्तर 18 फीट 5 इंच, बरियारपुर पूर्वी पंचायत का जल स्तर 15 फीट 10 इंच, बरियारपुर पश्चिमी पंचायत का जल स्तर 16 फीट 3 इंच, फफौत पंचायत का जल स्तर 16 फीट 6 इंच,खोदावंदपुर पंचायत का जल स्तर 16 फीट 8 इंच और मेघौल पंचायत का जल स्तर 17 फीट 4 इंच है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में लगभग 5 प्रतिशत चापाकल के खराब रहने की सूचना है। इन चापाकलों को भी चालू करवाने का प्रयास किया जा रहा है।


गढ़पुरा प्रखंड क्षेत्र में 42 चापाकल की हुई मरम्मत

गढ़पुरागर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों को जल संकट की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।


प्रखंड क्षेत्र में भूगर्भीय जलस्तर में कमी तो आई है लेकिन अभी पीने के पानी की समस्या के बारे में कहीं से कोई सूचना नहीं है। दर्जनों सरकारी चापाकल बेकार पड़े हुए हैं। जहां से रिपोर्ट आ रही है वहां ठीक कराने का काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। पीएचईडी विभाग जेई मुरारी कुमार ने बताया कि गढ़पुरा प्रखंड में अब तक कुल मिलाकर 42 चापाकल की मरम्मत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 15 मार्च को गढ़पुरा में भूगर्भीय जलस्तर 15 फीट तथा जो अब धटकर 18 फीट छह इंच चला गया है। यह सोनमा पंचायत का लेयर सामने आया है। गढ़पुरा पंचायत में पानी का लेयर 17 फीट 10 इंच है। वहीं प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में नल जल योजना के तहत जो संयंत्र लगाए गए हैं वह भी पूरी आबादी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे है। खासकर सोनमा, कुम्हारसों और मालीपुर पंचायत के अलावा प्रखंड मुख्यालय स्थित वार्ड में लोग शुद्ध पेयजल के लिए सरकारी स्तर पर व्यवस्था में कमी दिख रही है।


एक हजार से अधिक चापाकल खराब

बछवाड़ाभूमिगत जल स्तर गिरने के साथ ही अधिकतर चापाकलों ने दम तोड़ना शुरू कर दिया है। सभी ताल- तलैये सूखे पड़े हैं। जगह-जगह कुएं का पानी भी खत्म होने के कगार पर है।


लिहाजा अधिकतर क्षेत्रों में भूगर्भीय जलस्तर गिरकर 25 से 30 फीट नीचे पहुंच चुका है। भूमिगत जल स्तर गिरने के साथ ही इलाके में पेयजल संकट गहराने लगा है। पीएचईडी के आंकड़े के अनुसार पिछले एक माह के भीतर भूमिगत जल स्तर गिरने के कारण बछवाड़ा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में एक हजार से अधिक सरकारी चापाकल खराब हो चुके हैं। इलाके में गाड़े गए हाथी पंप तो शत-प्रतिशत नाकारा पड़े हैं। कई जगह मनरेगा से मिट्टी भराई किए जाने के दौरान ये चापाकल जमींदोज होने के कगार पर हैं।


पीएचईडी के कर्मियों ने बताया कि भूमिगत जल स्तर गिरने के कारण खराब हुए चापाकलों के चालू करवाने के लिए उखाड़- गाड़ की जरूरत पड़ रही है। कर्मियों ने बताया कि वर्तमान में नए सिरे से चापाकलों के उखाड़- गाड़ के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। खराब चापाकलों को फिलहाल पंचायत मद से दुरुस्त कराया जा सकता है। दूसरी तरफ पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर इलाके में नल जल योजना भी कारगर साबित नहीं हो रही है। कई वार्डों में नल जल योजना का नामोनिशान भी नहीं है। जिन वार्डों में नल जल योजना के तहत बोरिंग, जल मीनार व भूमिगत पाइप की व्यवस्था की गई है, वहां भी घर-घर नियमित रूप से पीने का पानी नहीं पहुंच रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि कई वार्डों में नल जल योजना के लीकेज पाइप के कारण रास्ते में ही पानी रह जाता है। कहा कि गांव में गड़े चापाकल खराब हो चुके हैं। वहीं कुछ चापाकलों से पानी भरने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने पेयजल संकट की स्थिति को देखते हुए सभी खराब पड़े चापाकलों को अविलंब दुरुस्त करवाने की मांग जिला प्रशासन से की है।

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