बेगुसराय के बखरी में दो युवा किसान संयुक्त रूप से मोती की खेती कर रहे हैं. इसमें से किसी ने पारंपरिक तरीके होने वाली खेती छोड़ दी, तो किसी ने दूसरे क्षेत्र के साथ-साथ ही मोती की खेती शुरू की है..
10X20 फीट के तालाब में खेती
बेगूसराय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बखरी है. यहां 10 x 20 फीट का तालाब बना कर रोहित और आमोद मोती की खेती करते हैं. खेती करने के लिए उन्होंने कई स्थानों पर प्रशिक्षण लेने गये, लेकिन उन्हें कहीं भी तसल्ली नहीं हुई. अंतत: उन्हें पता चला कि मोतिहारी के अजय प्रियदर्शी तथा बाढ़ के शशि कुमार द्वारा मोती की खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाता है. उनके मार्गदर्शन में मोती की खेती शुरू की.
इस तरह बनते हैं सीप में मोती
मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जो सीप में तैयार होता है. प्राकृतिक प्रक्रिया के अनुसार सीप के भीतर जब कोई बाहरी कण जैसे रेत या इस तरह का कोई दाना प्रवेश करता है, तो सीप उसे बाहर नहीं निकाल पाता. सीप के भीतर जो कण चला जाता है, उसके ऊपर सीप द्वारा चमकदार पर्त छोड़ी जाती है. डेढ़ साल तक यह प्रक्रिया जारी रहती है. अंत में यही कण मोती बन जाता है. यह असली मोती होता है. आमोद व रोहित के अनुसार, मोती की पैदावार करने के लिए सीप को लाने से लेकर उसकी सर्जरी करने की प्रक्रिया करनी पड़ती है.
घर में ही तालाब बना कर पैदा करने लगे मोती
आमोद तथा रोहित ने बताया कि घर के पीछे बची जमीन पर तालाब बनाकर सीप की खेती कर रहे हैं. इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी ओडिसिया ई कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड जामताड़ा झारखंड के सहयोग से सीप बखरी लाया गया. कहा कि मोती उत्पादन एक संयम का काम है. क्योंकि इसमें आज लागत लगायी तो उत्पादन डेढ़ साल के बाद मिलता है. इस कारण कई लोग इसे नहीं करते हैं. यह बखरी अनुमंडल क्षेत्र के इकलौता प्रयोग किए जाने वाला सीप की खेती है.