गढ़पुरा गांव में बुधवार को छायादार वृक्ष के नीचे बंधे मवेशी
भ्रमणशील पशु चिकित्सक डॉ. राकेश कुमार ने बताया की बढ़ती गर्मी के कारण पशुओं में दूध की कमी भी देखि जा रही है। यह कमी 10 से 20 प्रतिशत तक है। दूध की इस कमी को पूरा करने कई डेयरी वाले पशुपालकों को प्रति लीटर उनकी कीमत के अलावा इंसेंटिव भी देने की घोषणा की है।
बढ़ती गर्मी को देखते हुए पशुओं को गर्मी और लू से बचाने के लिए पुरे राज्य में एडवाइजारी जारी की गई है। जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. अनिमेष कुमार ने बताया की बिहार सरकार द्वारा इस गर्मी से पशु को बचाने के लिए उपाय किये जाने के लिए एडवाइजारी जारी की गई है। जिसका पालन के लिए सभी प्रखंड स्तरीय पशु अस्पताल को भेज दिया गया है।
शल्य पशु चिकित्सक डॉ. राकेश कुमुद और डॉ. शाहबजुल हक ने बताया की जारी एडवाइजारी के अनुसार जिले में 52 जगह ठंडा और ताजा पानी के जगहों को चिन्हित किया जाना है। साथ ही जिले में पोखर, तालाब या छोटी तलैया को भी चिन्हित करके रख लिया जाना है ताकि जरुरत पड़ने पर पशुओं के लिए इसका उपयोग किया जा सके।
घास और चारे के स्थल को भी चिन्हित कर रखा जाय। साथ ही सभी प्रखंड पशु चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है की अपने प्रखंड के पशुपालकों को पशु को गर्मी और लू से बचाने के उपाय की जानकारी दी जाय इसके प्रति किसानों को जागरूक किया जाय।
लू चलने से पशुओं में हीट स्ट्रोक का खतरा
हरा चारा व पानी की कमी से दूध उत्पादन में आ रही कमी क्या कहते हैं किसान
मौजी हरिसिंह के पशुपालक रामभरोस यादव बताते हैं कि दुधारू जानवरों की हिफाजत भरपूर कर रहा हूं। सुबह शाम दोनों वक्त नहलाने के साथ ही धूप से बचाने के लिए छप्पर में बांधता हूं। पहले जो भैस 10 किलो दूध दे रही थी, वह घटकर छह किलों पर आ गई है। बड़ी केबाल गांव के रामचंद्र यादव बताते हैं कि भैंस पहले आठ किलो दूध दे रही थी। उसको खिलाने पिलाने में भी कोई कमी नहीं कर रहा हूं, लेकिन पिछले दस दिन से दूध आधा हो गया है। कम दूध को लेकर परेशान हूं।
गर्मी में ऐसे करें पशुओं का बचाव
डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि पशुओं को लू से बचाने के लिए धूप में न जाने दें, बार-बार पानी पिलाएं। दिन में दो बार सुबह और शाम जरूर नहलाएं। थोड़े-थोड़े अंतराल पर खिलाएं। पशुओं को पेड़ों के नीचे अधिक देर तक न बांधे, पशुशाला पक्की है तो छत पर सूखी घास रखें, जिससे छत ठंडी रहे। टिनशेड और कम ऊंचाई की पक्की छत के नीचे पशुओं को बांधने से बचें। सूखे चारे की अपेक्षा हरे चारे का अधिक इस्तेमाल करें। समय समय पर बीमारी से बचाव का टीका लगवाएं।
गढ़पुरा। गर्मी में हरा चारा पानी आदि की कमी के चलते दुधारू पशुओं ने दूध देना कम कर दी है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस मौसम में पशु खाना कम कर देते है ऐसी स्थिति में दूध में भी कमी आ जाती है। ऐसे में पशुपालकों को अपने पशुओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
गढ़पुरा प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय के भ्रमणशील पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि इन दिनों तपिश बढ़ने और लू चलने से पशुओं में हीट स्ट्रोक की आशंका है। हीट स्ट्रोक से पशु को तेज बुखार हो जाता है और पशु सुस्त होकर खाना पीना बंदकर देता है। पशु के सांस लेने की व नाड़ी की गति तेज हो जाती है। ठीक से उपचार न मिलने पर उसकी मौत भी हो सकती है। इसलिए पशुओं को पशुपालक ज्यादा देर तक धूप न रहने दें। समय-समय पर चारा पानी देकर छाया में ही बांधे।
डेयरी व दुग्ध समितियों में मांग के अनुरूप नहीं उपलब्ध हो रहा दूध
बछवाड़ा। भीषण गर्मी दुधारू नस्ल की मवेशियों के दूध भी सूखने लगे हैं। जिन मवेशियों से प्रतिदिन 10 से 12 लीटर दूध मिलता था, उन मवेशियों से अब पांच से छह लीटर दूध मिलने पर भी संकट की स्थिति है। स्थानीय सभी डेयरी व दुग्ध समितियों में मांग के अनुरूप दूध उपलब्ध नहीं हो रहा है। इधर, बरौनी डेयरी के दुग्ध सहयोग समिति लिमिटेड नारेपुर पश्चिम से जुड़े अरुण कुमार सिंह ने बताया कि बछवाड़ा व आसपास के इलाके में प्रतिदिन तकरीबन 40 से 50 हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा था। वर्तमान में दुग्ध उत्पादन की मात्रा घटकर 20 से 25 हज़ार लीटर पर पहुंच चुकी है। इस वजह से क्षेत्र में दुग्ध किल्लत की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
उत्पादन में हुई कमी से दूग्ध उत्पादक हलकान
बरौनी। बरौनी शहरी व ग्रामीण क्षेत्र भीषण गर्मी की चपेट में है। दिन निकलने के साथ ही सूर्य की तीखी किरण लोगों को झुलसाने लगी है। गर्मी से बचने के लिए लोग घरों में पंखे के नीचे बैठकर अपना बचाव कर रहे हैं। गर्मी व लू केवल लोगों को ही नहीं बल्कि पशुओं को भी प्रभावित कर रही है। गर्मी के कारण पशु हांफ रहे हैं। इसका असर दुधारू पशुओं के दुध उत्पादन पर भी पड़ रहा है।
दुग्ध उत्पादक किसान राजेश कुमार,मंतोष कुमार, नूर मोहम्मद, जयजय राम सिंह आदि ने बताया कि गर्मी से पहले जिस गाय को 10 से 12 लीटर दुध होता था वह अब मात्र 7 से 8 लीटर हो रहा है। गर्मी के कारण पशु ठीक से खा भी नहीं रहे हैं। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है।