गरीबों के घर में जलने लगा है लकड़ी का चूल्हा

 70 फीसदी लाभुक गैस का नहीं करते हैं इस्तेमाल

गढ़पुरा। केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर और चूल्हा मुफ्त में उपलब्ध कराया, लेकिन अब वह सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। प्रखंड क्षेत्र में कुल मिलाकर 23 हजार परिवारों को इस योजना का लाभ दिया गया, लेकिन वर्तमान में महज 30 फीसदी लोग ही इसका इस्तेमाल कर पा रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण महंगाई को बताया जा रहा है।

धर्मपुर गांव की सुनीता देवी ने बताया कि जब हम लोगों को इस योजना का लाभ मिला उस समय मात्र 560 रुपये 70 पैसे गैस का दाम था। आज बढ़कर 1182 रु 50 पैसे हो गया है। ऐसे में हम गरीब लोग कहां से गैस भरा पाएंगे। रजौड़ गांव की मीना देवी ने बताया कि शुरू में जब हम लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर और चूल्हा मिला तो बहुत खुश थे। सरकार गैस के दाम को दोगुना से अधिक कर दिया।

इसके कारण सारे सामान को ट्रंक में रखकर बंद कर दिए हैं।

धर्मपुर गांव स्थित इंडेन गैस एजेंसी के संचालक संजय कुमार बताते हैं कि एजेंसी से 16 हजार परिवारों को उज्ज्वला योजना का लाभ मिला। लेकिन 70 फीसदी लाभुक गैस नहीं भरवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब लाभुकों से बातचीत होती है तो वे कहते हैं कि हम महंगे दाम पर गैस नहीं भराएंगे। वर्तमान में उज्ज्वला के लाभुकों को 1182 रुपए में 272 अनुदान दिए जा रहे हैं।



महंगाई बढ़ी तो नहीं खरीद पा रहे गैस बेगूसराय

महंगाई बढ़ी तो नहीं खरीद पा रहे गैस

बेगूसराय। उज्ज्वला योजना के महज 30 प्रतिशत लाभुक ही हर महीने रसोई गैस की करा रहे रीफिलिंग। वर्तमान में घरेलू गैस की रीफिलिंग पर करीब 12 सौ रुपए की लागत आ रही है।

ऐसे में उपभोक्ता रसोई गैस की जगह परंपरागत जलावन की ओर फिर से मुखातिब हो रहे हैं। गौरतलब है कि सरकार ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन के नेट जीरो की घोषणा की है। 2030 तक 33 प्रतिशत तक कटौती का लक्ष्य निर्धारण किया है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा रहा है।दूसरी ओर आईओसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने उज्जवला योजना के महज 30 प्रतिशत लोग ही गैस रिफिलिंग करा रहे हैं। लोग जलावन के लिए पारंपरिक लकड़ी और गोइठे की ओर मुखातिब हो रहे हैं।

लाभुकों ने बातचीत के क्रम में गैस मूल्य में वृद्धि कारण बताया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत आईओसीएल के करीब ढाई लाख लाभुक हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि रसोई गैस की रीफिलिंग गरीब परिवार के वश की बात नहीं है। शहरी क्षेत्र में इसका विकल्प नहीं होता है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसके विकल्प के तौर पर लकड़ी, गोइठा, फसलों की सूखी डंठल आदि उपलब्ध हैं। यह गैस सिलेंडर से सस्ता आता है। लिहाजा रसोई गैस सिलेंडर की रीफिलिंग कराना छोड़ दिया है।दूसरी ओर कई ऐसे परिवार हैं जो चाय, नाश्ते के लिए ही रसोई गैस का उपयोग करते हैं। लेकिन भोजन पकाने के लिए मुख्य रूप से लकड़ी का ही इस्तेमाल करते हैं।


आधे से अधिक लाभुकों ने रसोई गैस लेना किया बंद

बछवाड़ा

बछवाड़ा। पीएम उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन लेने वाले हजारों लाभुकों ने वर्तमान में रसोई गैस का उठाव करना बंद कर दिया है। रसोई गैस की कीमत में हुई वृद्धि के कारण बीपीएल परिवार के लाभुक अब गैस सिलेंडर का नियमित रूप से उठाव करने में असमर्थ हो रहे हैं। ऐसे गरीब परिवार अब लकड़ी के परंपरागत चूल्हे पर ही खाना बनाने को विवश हैं। बछवाड़ा प्रखंड अंतर्गत योजना के तहत गैस कनेक्शन लेने वाले बीपीएल परिवार के लाभुकों की संख्या तकरीबन 40 हजार से अधिक है।

चमथा इंडेन गैस एजेंसी के संचालक गणेश प्रसाद सिंह ने बताया कि वर्तमान में बमुश्किल 50 फीसदी लाभुक ही रसोई गैस का उठाव कर रहे हैं। कहा कि फिलहाल रसोई गैस की कीमत बढ़कर 1182.50 रुपये पर पहुंच चुकी है। इस वजह से ज्यादातर लाभुकों ने रसोई गैस लेना बंद कर दिया है। इधर, कई लाभुकों ने बताया कि गैस कनेक्शन लेने के वक्त उन्हें करीब 600 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध हो जाता था।

अभी उन्हें करीब 1200 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। रसोई गैस की कीमत में करीब दोगुनी वृद्धि के कारण वे प्रत्येक माह गैस का उठाव करने में असमर्थ हैं।


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